पर्यावरण सुरक्षा को देखते हुए नेशनल ग्रीन टिब्युनल के निर्देशों के अंतर्गत प्रदेश में फसलों विशेषतः धान एवं गेंहूँ की फसल कटाई के बाद फसल अवशेषों (नरवाई) को खेतों में जलाये जाने को प्रतिबंधित किया गया है। पर्यावरण विभाग द्वारा नरवाई में आग लगाने के विरूद्ध पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि दण्ड का प्रावधान निर्धारित किया गया है।
इस संबंध में कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने एक आदेश जारी किया है। जारी आदेशानुसार
1️⃣ ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 2 एकड़ तक की भूमि है तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 2500 रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा।
2️⃣ ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 2 से 5 एकड़ तक की भूमि है तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 5 हजार रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा।
3️⃣ ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 5 एकड़ से अधिक भूमि है तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 15 हजार रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा।
इस तरह वसूला जाएगा आर्थिक दण्ड
✅ उक्त दण्ड वसूलने हेतु संबंधित व्यक्ति/निकाय/कृषक जिनके द्वारा नरवाई जलाकर पर्यावरण को क्षति पहुँचाई गई है, को उप संचालक कृषि सूचना-पत्र जारी करेंगे।
✅ उक्त सूचना-पत्र को व्यक्ति/निकाय/कृषक पर व्यक्तिशः तामिल कराने की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी की होगी।
✅ संबंधित क्षेत्र के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी इसका पर्यवेक्षण करेंगे एवं तामिल किए गए सूचना पत्रों की सूची अनुविभागीय कृषि अधिकारी उप संभाग इन्दौर के माध्यम से उप संचालक कृषि को प्रस्तुत करेंगे।
✅ उप संचालक कृषि द्वारा सूचना-पत्र प्राप्त होने के बाद संबंधित व्यक्ति सूचना-पत्र में उल्लेखित पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि चालान के माध्यम से ट्रेजरी में खाता क्रमांक 0070 (अन्य प्रशासनिक सेवाऐं) में जमा कराकर चालान की एक प्रति कृषि विस्तार अधिकारी को उपलब्ध करायेंगे।
✅ उक्त चालान की प्रति एकत्रित कर उसकी सूची बनाकर कृषि विस्तार अधिकारी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी उप संभाग इन्दौर के माध्यम से उप संचालक कृषि को प्रस्तुत करेंगे।