इंदौर में चार्टर्ड बस कार्यालय पर एक गंभीर घटना घटी, जहां यात्रियों से किराया लिया गया, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। यह घटना इतनी बढ़ गई कि यात्रियों को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी और उन्हें बसों में बैठने की अनुमति भी नहीं दी गई।
इस दौरान चार्टर्ड के कर्मचारियों ने यात्रियों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के साथ अभद्र व्यवहार किया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि यात्रियों के साथ गाली-गलौच की जा रही है और उन्हें उचित सेवा नहीं दी जा रही है। एक यात्री दीप्ती गिरी ने बताया कि परिवार में एक निधन के कारण उन्हें तुरंत भोपाल जाना था। उन्होंने बायपास स्थित चार्टर्ड बस कार्यालय से टिकट के पैसे दिए, लेकिन कर्मचारियों ने उन्हें कहा कि टिकट मोबाइल पर भेजा जाएगा। जब लंबा समय बीतने के बाद भी टिकट नहीं आया, तो यात्रियों ने शिकायत की। कर्मचारियों ने जवाब दिया कि वे कुछ नहीं कर सकते और मोबाइल से फोटो खींचकर दे देंगे। इस बीच, अन्य यात्रियों ने भी शिकायत की कि वे एक घंटे से अधिक समय से इंतजार कर रहे थे, लेकिन बस अब तक नहीं आई थी। इस घटना के बाद, अमर उजाला ने चार्टर्ड बस के संचालक रोशन अग्रवाल को घटना के वीडियो भेजे। उन्होंने कहा कि वे दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे और यह भी बताया कि इंदौर-भोपाल रोड पर जाम और निर्माण कार्य के कारण बसों के आने में देरी हो रही है। हालांकि, जब अमर उजाला ने संबंधित यात्रियों से बात की, तो उन्होंने कहा कि उन्हें वाट्सएप पर भी टिकट नहीं मिला था। यात्रियों ने कहा कि वे सिर्फ अपना किराया वापस चाहते थे क्योंकि वे अपनी जरूरी यात्रा नहीं कर पाए। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कर्मचारियों से कोई मतलब नहीं है, लेकिन भविष्य में किसी अन्य यात्री के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए। पूरी घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड की गई है, और यात्रियों ने न्याय की मांग की है। एक महिला यात्री ने एआईसीटीएसएल के कार्यालय में जाकर शिकायत दी और बताया कि कई बार विनम्रता से टिकट की मांग करने के बावजूद कर्मचारियों ने न तो बस का नंबर दिया, न ही टिकट के बारे में कोई जानकारी दी। जब उन्होंने रिफंड की मांग की, तो कर्मचारियों ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और उन्हें उकसाया। महिला ने लिखा कि अगर रिफंड नहीं मिलता, तो वह इसे कर्मचारियों को उपहार देने के रूप में समझेगी।