यह दरअसल वह नम्बर है जो आपको उस वक्त बहुत बड़ी परेशानी से बचा सकता है जब आप किसी साइबर ठगी के शिकार हो
गए हो…
इस हेल्पलाइन नंबर 155260 और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को गृह मंत्रालय के तहत साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाले
वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Center) यानी I4C द्वारा जारी किया गया
है. फिलहाल इसे सात राज्यों छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित
राज्यों में चालू कर दिया गया है।
इसमें शामिल होने वाले सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के कई महत्त्वपूर्ण बैंक हैं जैसे भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक
ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक, येस बैंक
और कोटक महिंद्रा बैंक।इसके अलावा पेटीएम, फोनपे, मोबिक्विक, फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसे सभी प्रमुख वॉलेट और मर्चेंट भी
इससे जुड़े हुए हैं।
मान लीजिए कि आपकी साथ कोई ठगी की घटना घट गई है, किसी ने आपको बातों में उलझाकर आपके मोबाइल को हैक कर
ओटीपी हासिल कर लिया है और आपके एकाउंट में जमा रकम उस धोखेबाज एकाऊंट में चली गई है तो इस हेल्पलाइन मे
शिकायत होते ही संबंधित बैंक, जिसके खाते में ठगी की रकम जमा की गई है उसे अलर्ट भेज दिया जाएगा……बैंक अलर्ट आने के
बाद उस खाते में रकम को फौरन फ्रीज कर देंगे. इससे ठग कम से कम उस रकम को निकाल नहीं सकेगा. अगर रकम को एक बैंक
के खाते से दूसरे किसी बैंक के खाते में भेजा गया है तो संबंधित बैंक ही दूसरे बैंक को अलर्ट भेजकर खाते को फ्रीज कराने की
कार्रवाई करेगा।
इस प्लेटफार्म की प्रक्रिया यह है कि जैसे ही कोई पीड़ित अपनी शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करता है, तो उसकी
पूरी डीटेल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन तक पहुंच जाती हैं. यह फ्रॉड ट्रांजेक्शन टिकट जिस वित्तीय संस्थान से पैसा कटा (डेबिट
हुआ) है और जिन वित्तीय संस्थान में गया (क्रेडिट हुआ) है. दोनों के डैशबोर्ड पर नजर आएगा. जिस बैंक/वॉलेट में टिकट दिया
गया होता है. उसे फ्रॉड ट्रांजेक्शन की जानकारी के लिए जांच करनी होती है. इसके बाद ट्रांजेक्शन को टेम्पोरेरी ब्लॉक कर दिया
जाता है।
एक बार इस हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज हो जाने पर आपको आपकी शिकायत का कंप्लेंट नम्बर sms द्वारा भेज दिया जाता है
इसके साथ ही एक वेबसाइट आप निर्देश होते हैं कि इस पावती संख्या का इस्तेमाल करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा
विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime डॉट gov. in पर दें, इसके बाद बैंक द्वारा आपकी शिकायत का
संज्ञान ले लिया जाता है।
लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि आपके साथ यदि किसी भी तरह के ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड या अन्य प्रकार की साइबर
धोखाधड़ी की घटना होती है तो आप इसकी सूचना तुरन्त ही दे , यानी इस प्रणाली की सफलता आपकी सतर्कता पर ही निर्भर
है……कानून भी यही कहता है जुलाई 2017 की आरबीआई की अधिसूचना के अनुसार अगर बैंक के किसी खाताधारक का पैसा
धोखे से निकाला जाता है और वह व्यक्ति अपराध के 72 घंटे के भीतर इस घटना की सूचना देता है, तो बैंक को वह पूरी राशि
उस खाताधारक को 10 कार्य दिवस के भीतर देनी होगी।
एक बात और जान लीजिए कि यह हेल्पलाइन सिर्फ मदद के लिए है। यह वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर यानी
प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की आवश्यकता को समाप्त नहीं करती है। पैसा सही मालिक को वापस स्थानांतरित किए जाने से
पहले धोखेबाजी करने वाला व्यक्ति पैसा निकालने में सफल हो जाता है, तो यह मामला पुलिस के पास ले जाना ही होगा।
आज के जमाने में जब लगभग हर व्यक्ति पेमेंट के लिये डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल कर रहा है तो उसकी फोन बुक में इस
हेल्पलाइन नम्बर 155260 नंबर का होना बहुत जरूरी है यदि आपने अब तक इसे सेव नही किया हो तो इसे तुरन्त सेव करे।