(कोर्ट केस के पैसे नहीं तो परेशान न हों, कागजों का खर्च भी नहीं लगेगा, राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर जारी हुआ)
यदि आपके पास वकील करने के पैसे नहीं हैं तो परेशान न हों। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा भी पीड़ितों की न सिर्फ सुनवाई की जाती है बल्कि वकील भी निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। आवेदकों से दस्तावेज का खर्च भी नहीं लिया जाता।
15100 पर कॉल करें
इसके लिए पीड़ित राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 15100 पर फोन कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यहां से फोन जिला शाखा में डायवर्ट हो जाता और पीड़ित को बुलाकर उनके आवेदन से लेकर केस लड़ने तक लीगल सहायता निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। यहां आवेदकों की संतुष्टि का स्तर 100 फीसदी है, क्योंकि यहां न तो चक्कर लगवाए जाते न ही शिकायत को निवारण के विना बंद किया जाता।
इन मामलों में मिलेगी मदद
मामला चाहे हाई कोर्ट, जिला कोर्ट, फैमिली कोर्ट, उपभोक्ता फोरम का हो या फिर लेबर कोर्ट से संबंधित हो।
यह लोग पात्र
विधिक सेवा प्राधिकरण इंदौर के प्रभारी आसिफ अब्बासी ने आरक्षित वर्ग के साथ ही सामान्य वर्ग के पुरुष की 2 लाख से कम सालाना इनकम होना चाहिए। जेल में बंद कैदियों को भी निःशुल्क सुविधा दी जाती है। हालांकि सबसे अधिक केस कैदियों के ही पहुंचते हैं क्योंकि उन्हें जेल में ही बता दिया जाता है कि वे प्राधिकरण में अपील कर सेवाओं का लाभ ले सकते हैं। सामान्य लोग जानकारी के अभाव में विधिक सेवा प्राधिकरण नहीं पहुंच पाते।
समझाइश से निपटने वाले केसों के लिए खुले 34 लीगल एड क्लिनिक
जिले के 34 गांवों में पंचायत स्तर पर लीगल एड क्लिनिक नाम से सेल खोला गया है। यहां सप्ताह में एक बार पैरालीगल वॉलंटियर सेवाएं देते हैं। जो मामले वहीं निपट सकते हैं उन्हें समझाइश से हल कर देते। शेष मामले प्राधिकरण में रैफर कर दिए जाते।
जरूरतमंदों का लाखों का खर्च बच जाता
अगर फैमिली कोर्ट में कोई मामला जाता है तो कागजी कार्रवाई में ही कम से कम 5000 रुपए लग जाते हैं। 2-3 साल केस चलता है जिसमें वकील की फीस और अन्य जोड़कर 3 लाख का खर्च मामूली बात है। कई मामलों में 10 से 20 लाख तक खर्च हो जाता है। प्राधिकरण द्वारा सिविल से लेकर घरेलू विवाद तक के मामलों में पीड़ित का केस लड़ा जाता है।